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जानिये क्या है ये अर्थववेद

अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है । इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के रज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः

यस्य राज्ञो जनपदे अथर्वा शान्तिपारगः।

निवसत्यपि तद्राराष्ट्रं वर्धतेनिरुपद्रवम् ।। (अथर्व०-१/३२/३)।

भूगोल, खगोल, वनस्पति विद्या, असंख्य जड़ी-बूटियाँ, आयुर्वेद, गंभीर से गंभीर रोगों का निदान और उनकी चिकित्सा, अर्थशास्त्र के मौलिक सिद्धान्त, राजनीति के गुह्य तत्त्व, राष्ट्रभूमि तथा राष्ट्रभाषा की महिमा, शल्यचिकित्सा, कृमियों से उत्पन्न होने वाले रोगों का विवेचन, मृत्यु को दूर करने के उपाय, प्रजनन-विज्ञान अदि सैकड़ों लोकोपकारक विषयों का निरूपण अथर्ववेद में है। आयुर्वेद की दृष्टि से अथर्ववेद का महत्व अत्यन्त सराहनीय है। अथर्ववेद में शान्ति-पुष्टि तथा अभिचारिक दोनों तरह के अनुष्ठन वर्णित हैं। अथर्ववेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। चरणव्युह ग्रंथ के अनुसार अथर्व संहिता की नौ शाखाएँ- १.पैपल, २. दान्त, ३. प्रदान्त, ४. स्नात, ५. सौल, ६. ब्रह्मदाबल, ७. शौनक, ८. देवदर्शत और ९. चरणविद्य बतलाई गई हैं। वर्तमान में केवल दो- १.पिप्पलाद संहिता तथा २. शौनक संहिता ही उपलब्ध है। जिसमें से पिप्लाद संहिता ही उपलब्ध हो पाती है। वैदिकविद्वानों के अनुसार ७५९ सूक्त ही प्राप्त होते हैं। सामान्यतः अथर्ववेद में ६००० मन्त्र होने का मिलता है परन्तु किसी-किसी में ५९८७ या ५९७७ मन्त्र ही मिलते हैं।

अथर्ववेद के विषय में कुछ मुख्य तथ्य निम्नलिखित है-

        अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई।
        इसमें ॠग्वेद और सामवेद से भी मन्त्र लिये गये हैं।
        जादू से सम्बन्धित मन्त्र-तन्त्र, राक्षस, पिशाच, आदि भयानक शक्तियाँ अथर्ववेद के महत्वपूर्ण विषय हैं।
        इसमें भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि के मन्त्र हैं।
        ॠग्वेद के उच्च कोटि के देवताओं को इस वेद में गौण स्थान प्राप्त हुआ है।
        धर्म के इतिहास की दृष्टि से ॠग्वेद और अथर्ववेद दोनों का बड़ा ही मूल्य है।
        अथर्ववेद से स्पष्ट है कि कालान्तर में आर्यों में प्रकृति-पूजा की उपेक्षा हो गयी थी और प्रेत-आत्माओं व तन्त्र-मन्त्र में विश्वास किया जाने लगा था।

16 comments:

  1. Vijay Aannd Goudpade06:16

    Dhanyawad SwamiJi, Arthavved ke baare me meri kuch sankaaye thi jo kafi had tak dur hue hai...aapka ye website vastaw me adbhut jaankari deta hai..

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  2. गोरोचन क्या है
    98141-73899

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    1. Gorochan asli nahi mil sakta

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  3. 1.MANTR SIDDHI KE LAKSHAN KYAA HAI. KAISE PATA CHALEGA KI MANTR SIDDH HO CHUKE HAI ?

    2. BINA SIDDH KIYE MANTRO KO KEVAL ZARURAT HONE PAR UPYOG KARE TO LAKSHY PRAPTI NAHI HOTI KYA ?


    PLZ REPLY IF ANY ONE KNOW...

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    1. सभी मंत्रसिद्ध ही है उसमें। आप सिर्फ माला फेरते है वैसे पढ़िए 18,21,27 या 108 बार

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    2. Mathulcrane@gmail.com

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  4. स्वमी जी अर्थवेद में दिए गए मंत्रो को क्या उपयोग किया जा सकता है ?

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    1. Ha lekin bahot savdhani bratni hog

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  5. Mere pas ek sant he jinke magic ko mene khud par dekha he kisi bhi bhai bahan ko jo sirf khud ke liye acha chahte he or isme kisi dusre ko nuksan na dene ki kamna he to call kare 7742551364 yaad rakhe vo sant kisi or ka bura nahi karenge sirf jo apka bhala ho vohi kar sakte he

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    1. M bhi kisi sy pyaar krta hu
      Pr uske gharwale nhi maanenge
      Kya aap kuch madad kr skty h

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  6. Or bhai aap sab khud se ye sab chije na sikhe kisi guru ki sharan me jaye jab unko lagega aap logo ki bhalai kar sakte ho tabhi apko sahi siksha di jayegi mene bhi nahi sikha kyoki gusse me kisi ka bura ho skta he or bina guru ke ham pagal bhi ho sakte he

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  7. Vo jo sant he vo apko busines or apke pariwar ki problem thik kar sakte he baki aap unse kaho ki kisi ka bura ho jaye to vo ye kam nahi karte

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  8. Anonymous21:46

    Atharvaved se kya sach m Siddhi prapt ho jati h

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  9. Muje भी तिब्बत के महान तंत्र विधा के स्वामी मिलारेपा की तरह एक तांत्रिक विधि प्राप्त करनी है लोक जन हित कल्याण के लिए। क्या आप हमारी मदद करेंगे

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  10. Gorochan kya kaam aata hai mere ghar me hai par mai iska upaye nhi janta kripya uapye bataye

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इस स्थान पर दिये जा रहे प्रयोगों का अपना आध्यात्मिक महत्त्व है, जो आस्तिक अर्थात् ईश्वर में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों के लिये है। गुरु का आध्यात्मिक जगत में सर्वोपरि स्थान है, इसलिये किसी भी प्रयोग को करने से पुर्व गुरु का अथवा विज्ञजन का आशीर्वाद तथा मार्गदर्शन नितांत आवश्यक है। इससे केवल साधना में सिद्धि शीघ्र मिलती है, अपितु अज्ञात् सहायता भी मिलती है। इसी क्रम में यहां दिये जा रहे प्रयोग पूर्णतया निरापद है, लेकिन फिर भी किसी विज्ञजन अथवा गुरुजन से पूर्व अनुमति श्रेयष्कर रहेगी। प्रयोग सम्बन्धित किसी भी शंका के लिये निःसंकोच स्वामी जी से सम्पर्क​ किया जा सकता है। शंका-निवारण का पूर्ण प्रयास किया जायेगा।“ kaishavswami@yahoo.com