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आकर्षण हेतु हनुमद्-मन्त्र-तन्त्र


अमुक-नाम्ना नमो वायु-सूनवे झटिति आकर्षय-आकर्षय स्वाहा।
विधि- केसर, कस्तुरी, गोरोचन, रक्त-चन्दन, श्वेत-चन्दन, अम्बर, कर्पूर और तुलसी की जड़ को घिस या पीसकर स्याही बनाए। उससे द्वादश-दल-कलम जैसायन्त्रलिखकर उसके मध्य में, जहाँ पराग रहता है, उक्त मन्त्र को लिखे।अमुकके स्थान परसाध्यका नाम लिखे। बारह दलों में क्रमशः निम्न मन्त्र लिखे- १॰ हनुमते नमः, २॰ अञ्जनी-सूनवे नमः, ३॰ वायु-पुत्राय नमः, ४॰ महा-बलाय नमः, ५॰ श्रीरामेष्टाय नमः, ६॰ फाल्गुन-सखाय नमः, ७॰ पिङ्गाक्षाय नमः, ८॰ अमित-विक्रमाय नमः, ९॰ उदधि-क्रमणाय नमः, १०॰ सीता-शोक-विनाशकाय नमः, ११॰ लक्ष्मण-प्राण-दाय नमः और १२॰ दश-मुख-दर्प-हराय नमः।

यन्त्र की प्राण-प्रतिष्ठा करके षोडशोपचार पूजन करते हुए उक्त मन्त्र का ११००० जप करें। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए लाल चन्दन या तुलसी की माला से जप करें। आकर्षण हेतु अति प्रभावकारी है।

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इस स्थान पर दिये जा रहे प्रयोगों का अपना आध्यात्मिक महत्त्व है, जो आस्तिक अर्थात् ईश्वर में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों के लिये है। गुरु का आध्यात्मिक जगत में सर्वोपरि स्थान है, इसलिये किसी भी प्रयोग को करने से पुर्व गुरु का अथवा विज्ञजन का आशीर्वाद तथा मार्गदर्शन नितांत आवश्यक है। इससे केवल साधना में सिद्धि शीघ्र मिलती है, अपितु अज्ञात् सहायता भी मिलती है। इसी क्रम में यहां दिये जा रहे प्रयोग पूर्णतया निरापद है, लेकिन फिर भी किसी विज्ञजन अथवा गुरुजन से पूर्व अनुमति श्रेयष्कर रहेगी। प्रयोग सम्बन्धित किसी भी शंका के लिये निःसंकोच स्वामी जी से सम्पर्क​ किया जा सकता है। शंका-निवारण का पूर्ण प्रयास किया जायेगा।“ kaishavswami@yahoo.com